देशभक्ति कविता
Deshbhakti poem



'अपना भारत एक'

कोरोना के कहर में
आम आदमी पस्त ।
जुमलेबाजी के फेर में
रसूखदार हुआ मस्त।।

भटकता रहा मज़दूर
सड़को पर नंगे पैर ।
रोक दिया सीमाओं पर
रुकी ना नेताजी की सैर ।।

उलझते रहे आपस में
सत्ता के रखवाले ।
छोड़ दिया मानव को 
उसकी नियति के हवाले ।।

विपदा के इस दौर ने
भुला दिया मानव से मेल ।
थम गया अर्थतंत्र का पहिया
थमा नही सियासी खेल ।।

आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में
सब रहे रोटीयां सेक ।
मानवता ने मुँह फेर लिया
अस्पतालों की लचर व्यवस्था देख ।।

आओ मिलकर सृजन करे हम
एक नए विश्वास का ।
प्रगति के पथ पर दौड़ेंगे
यह वक्त नही अवसाद का ।।

बाँटो ना तुम मानवता को
ना रहे विचारो में मतभेद ।
कश्मीर से कन्याकुमारी
अपना भारत एक ।।

युवा कवि -
कमल सिंह
अलवर, राजस्थान
9667616433