काश ! हवा का रुख़ कुछ इस और हो
डोर तुम्हारे हाथ मे और पतंग मेरी ओर हो ।
जुड़ी रहो तूफानों में भी मुझसे तुम कुछ इस कदर...
की झूमें गगन में हम और मौसम खुद बदलने पर मजबूर हो ।।
डोर तुम्हारे हाथ मे और पतंग मेरी ओर हो ।
जुड़ी रहो तूफानों में भी मुझसे तुम कुछ इस कदर...
की झूमें गगन में हम और मौसम खुद बदलने पर मजबूर हो ।।
Heartbeats of youth
कमल जाट
9667616433
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