A Ray of Hope


 'कोरोना फिर लाचार होगा'


निराशा में आशा का फिर संचार होगा
हौसला रख मनुज कोरोना फिर लाचार होगा ।

ये कलियां फिर से मंद-मंद मुस्काएँगी
आँचल में अपने फिर से नया पराग जुटाएंगी ।
फूलो पर भवरों का फिर से डेरा होगा
रात बीतने को है साथी फिर से नया सवेरा होगा ।
सूरज की किरणों संग में, एक नया अवतार होगा
हौसला रख मनुज कोरोना फिर लाचार होगा ।।

होली, दीवाली और ईद पर जन, जन को गले लगाएगा
राग द्वेष का दम फूलेगा प्रेम खड़ा मुस्काएगा  ।
शहनाई गूँजेंगी फिर से शुभ अवसर की बेला पर
शाही डुबकी फिर से होगी महाकुंभ के मेला पर ।
रात बीतने को है, फिर से सूरज का दीदार होगा
हौसला रख मनुज कोरोना फिर लाचार होगा ।।

घर आये मामा को बच्चे फिर से गले लगाएंगे
छीन जलेबी हाथों से मन ही मन इठलाएँगे ।
तले हुए पकवानों की खुशबू हर राही को ललचाएगी
हाल जानने बूढ़ी दादी घर पर अपने आएगी ।
गावों की सूनी चौपालों पर फिर से विहार होगा
हौसला रख मनुज कोरोना फिर लाचार होगा ।।

निर्जन सड़को पर गाड़ियां फिर घनघनाएगी
स्कूल, मंदिरो की घंटियां फिर से टंटनाएगी ।
तब ना कोई चाहत अधूरी होगी
ना ही आइसोलेशन में रहना मजबूरी होगी ।
फिर ना कोई अस्पतालों में हाहाकार होगा
हौसला रख मनुज कोरोना फिर लाचार होगा ।।

ये सूनी गलियां फिर बच्चो से गुलजार होगी
उजड़े चमन में भी फिर बहार होगी ।
नीरसता लज्जित होकर शर्माएगी
माँ बिछड़े बेटे को फिर गले लगाएगी ।
सुबह चाय के संग सुखद समाचार होगा
हौसला रख मनुज कोरोना फिर लाचार होगा ।।

अर्थतंत्र का बेपटरी पहिया, फिर पटरी पर आएगा
बाजारों की रौनक देख खुद कोरोना शर्माएगा ।
आसमान में वायुयान फिर करतब दिखलाएंगे
सुप्त खड़े रेलगाड़ी के इंजन फिर कंपित हो जाएंगे ।
धधक उठेगी भट्टियां कल कारखानों में व्यापार होगा
हौसला रख मनुज कोरोना फिर लाचार होगा ।।

जंग लगे तालो पर चाबी फिर चुम्बन ले जाएगी
धूल फांकती ताशों की गड्डी मन का भेद मिटाएगी ।
उद्यानो में जमघट होगा झूलें फिर चर्मराएंगे
बंद पड़े फ़व्वारे फिर से आसमान छू जाएंगे ।
मेहनतकश मज़दूर का फिर सपना साकार होगा
हौसला रख मनुज कोरोना फिर लाचार होगा ।।

निराशा में आशा का फिर संचार होगा
हौसला रख मनुज कोरोना फिर लाचार होगा ।।

Written by-
Kamal Jat
From-Alwar, Rajasthan
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