*ऊँची उड़ान*





ऊँची भरी उड़ान देश मे, ऐसा परचम लहराया
पहुँच चाँद पर विक्रम ने, हम सब का मान बढ़ाया ।

उम्मीद बहुत उस रोवर से, वह अपना सीना तान रहा 
आयाम नए गढ़ते चलो, यह जग भी लोहा मान रहा ।

अथक परिश्रम इसरो का, अब अपनी जुबानी बोल रहा
ठहरे ना कदम अब तक जिसके, नित नूतन द्वार खोल रहा ।

राखी के अवसर पर जिसने, भारत माँ का सम्मान रखा
बढ़ा कलाई अपनी आगे, रक्षा सूत्र का मान रखा ।

सीखा बहुत कुछ हमने अब तक, बाधाओ को पार किया
थमे ना कदम अब तक अपने, सुख-चैन को भी निसार दिया ।

बढ़ते चलो कर मार्ग प्रशस्त, लपटों  से लिपटना शेष रहा
रुकना ना कभी झुकना ना कभी, आदित्य राह अब देख रहा ।।

मेरी मौलिक रचना
कमल सिंह
अलवर, राजस्थान
9667616433