देशभक्ति कविता:-
       
   


  गाथा वीर जवानों की
            
ये धरा सदा ऋणी रहेगी 
उन वीरों के बलिदानो की ।
जो शीश झुका सकते नही
उन भारत माँ के प्राणों की ।

माँ बेटों को छोड़ बिलखता
सीमा पर तैनात रहा ।
नन्ही सी बिटिया की याद में
अश्क़ बहाता दिन-रात रहा ।।

अपने हाल पर छोड़ वधु को
भारत माँ का फ़र्ज़ निभाया है ।
पिता की याद में बेबस पुत्र ने
अपना कर्ज़ चुकाया है ।।

कभी तपन सही शोलो की
कभी सर्द रात ने ठिठुराया है
कही भूख से बेबस होकर
रूखा-सूखा खाया है ।।

नही भान था गद्दारी का
दुश्मन पर विश्वाश किया ।
चले निभाने मानवता को
निहत्थों पर वार किया ।।

रही सुलह की रीत सदा
इस मिट्टी के वीर सपूतों की ।
चालाकी से वार किया 
अब फिक्र नही ताबूतों की ।।

व्यर्थ ना होगी कभी शहादत 
इस देश के रणबांकुरों की
करतूतों को भाँप गए हम
अब खैर नही बर्बर मंसूबो की ।।

धैर्य परीक्षा हुई खत्म अब
रण का बिगुल बजाया है ।
हम उस माँ के लाल नही
जिसने माँ का दूध लजाया है ।।

इस मिट्टी का रज-रज उगलेगा
गाथा वीर जवानों की ।
इतिहास के स्वर्ण पृष्ठों पर
कहानी झलकेगी बलिदानो की ।।

युवा कवि-
कमल सिंह
अलवर, राजस्थान
9667616433