आजादी के परवाने




आजादी के परवाने
 || देशभक्ति कविता ||


जलते - तपते शोलो ने
आजाद फ़िज़ा का बिगुल बजाया था ।
आजादी की जद में आकर
लोहा से लोहा टकराया था ।।

अलख जगी हर मन मे थी
जन - जन ने पैगाम दिया ।
नही सहेंगे निशा गुलामी
स्वाधीन भारत का अंजाम दिया ।।

रण प्रांगण में रहे चमकते
दुश्मन ने मुँह  की खाई थी ।
सहस्रो वार सहे तन पर
तब जाकर आजादी पाई थी ।।

कण-कण मिट्टी का याद दिलाए
आजादी के परवानों  की ।
इतिहास के स्वर्ण पृष्ठों पर
कहानी झलकेगी बलिदानों की ।।

अखंड भारत की वेदी में
निजइच्छा को होम किया ।
देशभक्ति का परिचय देकर
पत्थर दिल भी मोम किया ।।

सर पर अपने कफन बाँधकर
विजय पताका फहराई थी ।
खुद लहरों से लड़कर
तट पर पतवार थमाई थी ।।

आओ मिलकर सृजन करे हम
एक नए परिवार का ।
यह देश सदा ऋणि रहेगा
उन वीरों के उपकार का ।।

Heartbeats of youth
कमल जाट
अलवर, राजस्थान
9667616433