|| Hindi  Love poem ||

                तुम पूर्ण मिलन की आशा हो ।


Hindi Love poem || 
तुम पूर्ण मिलन कि आशा हो ||
 Feelings of Love

एक सरल रेखा सी तुम हो
अपनापन की परिभाषा हो ।
खिल उठा वह आंगन चमन सा
जिस आंगन की तुम अभिलाषा हो ।।

छठा देख तेरे रूप रंग की
प्रकृति भी मन मे सकुचाई ।
निस्तेज को भी तेज कर गई
भला यह दिप्ति कैसे पाई ?
हुआ तिमिर का नाश सर्वत्र
मानो दिनकर भी दर्शन का प्यासा हो ।।

एक सरल रेखा सी तुम हो
अपनापन की परिभाषा हो ।
खिल उठा वह आंगन चमन सा
जिस आंगन की तुम अभिलाषा हो ।।

चाहू साथ चलना तेरे
बन कर तेरी परछाई ।
इस बेनूर सी दुनिया मे तुम
इंद्रधनुष बन कर आई ।
हर पल मिलना चाहु तुमको
तुम एक मात्र जिज्ञासा हो ।।

एक सरल रेखा सी तुम हो
अपनापन की परिभाषा हो ।
खिल उठा वह आंगन चमन सा
जिस आंगन की तुम अभिलाषा हो ।।

ओस की बूंदों सी ठंडक तुम में
अहम को भी परास्त किया ।
छलक पड़ा सादगी का प्याला
जब तुमने अपना परिचय दिया ।
मिलकर सबसे रहा अधूरा
तुम पूर्ण मिलन की आशा हो ।।

एक सरल रेखा सी तुम हो
अपनापन की परिभाषा हो ।
खिल उठा वह आंगन चमन सा
जिस आंगन की तुम अभिलाषा हो ।।


Heartbeats of youth
कमल सिंह
अलवर, राजस्थान
9667616433